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श्वसन प्रणाली के विभीन्न रोगः-
यह पोस्ट अनुर्जता (एलर्जी),नजला जुकाम एवं एलर्जी अस्थमा के बारे मे है ।
Different Diseases in respiratory system
This post is related to Allergic and normal Cold, Sinus And Allergic & bronchitis asthama
(FOR INFROMATION IN ENGLISH PLEASE SCROLL DOWN)
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मित्रों आज हम आपको अस्थमा के कारण सांस लेना क्यों कठीन हो जाता है,यह बतायेगें ।
1- एलर्जी (Allergy)
2- प्रतिश्याय (जुकाम) दुष्ट प्रतिश्याय यानी साइनासाइटिस (Sinusitis)
1- एलर्जीः-
एलर्जी स्वयं में कोई बीमारी नहीं बल्कि कष्टकारक लक्षण उत्पन्न करती है , जिससे शरीर में एक विशेष प्रकार की अनुभूति होती है, जिसे उलझन या अनचाहापन कह सकते है ,एलर्जी मौसत बदलने ,झाडु लगाने ,किसी विशेष प्रकार की गंध,दुर्गधं ( पेंट,डीजल,पैट्रोल) आदि से उत्पन्न होता है,जिससे एक साथ कई छीकें आना,नाक बन्द हो जाना, पेट की गडबडी आंखों में पानी आना त्वचा में खुजली ,फुन्सिया होना ,चकते पड जाना गले खराब ,खांसी सांस लेने मे तकलीफ जैसे लक्षण की उत्पत्ति हो सकती है ।
एलर्जी कई प्रकार की होती हैः-
1. मौसम बदलने से प्रभावित एलर्जी
2. सर्द गर्म मे प्रभाव से होने वाली एलर्जी
3. स्पर्श एलर्जी (छुने या संपर्क मे आने से)
मौसम बदलने(विशेष रूप से सुबह या शाम या एक गर्म दिन पर अचानक बारिश की तरह मौसम में अचानक बदलाव) ,वर्षा में भीगनें गीले कपडे अधिक देर तक पहनने, नहाने के बाद पखें के नीचे आकर पानी सुुखाने जैसे कारणों से अचानक छींके आना प्रारम्भ हो सकता है, और फिर लगातार एक दो नहीं पांच - सात छींके एक साथ आती रहती है , नाक एवं अाॅंखोंं से पानी बहना आरम्भ हो जाता है
2- प्रतिश्याय (जुकाम) दुष्ट प्रतिश्याय यानी साइनासाइटिस (Sinusitis):-
प्रतिश्याय (जुकाम) भी कफ विकार का रोग है, बदलते मौसम के मिजाज ,सर्दी में भीगने,सर्द हवा के प्रभाव,शीतल पेय पदार्थो के सेवन ,अधिक दही छांछ ,बर्फयुक्त पदार्थो का प्रयोग करने से जुकाम यानी प्रतिश्याय रोग की उत्पत्ति होती है ,जो प्रारम्भिक अवस्था में छींके आना नाक से पानी बहना जैसे लक्षण उत्पन्न कर बाद में भयानक रूप ले सकता है,
जुकाम कई प्रकार का होता हैः-
1. वायु जन्य प्रतिश्याय
2. पित्त जन्य प्रतिश्याय
3. कफ जन्य प्रतिश्याय
4.त्रिदोष जन्य प्रतिश्याय
साइनासाइटिस यानी पीनस रोग में कभी कफ के कारण नासामार्ग अवरूद् हो जाता है,तो कभी सामान्य हो जाता है,जिसके कारण रोगी सांस लेने में भी कष्ट का महसुस करने लगता है, साइनासाइटिस यानी पीनस रोग का प्रमुख लक्षण नाक का बन्द होना तथा नाक से बहने वाले द्रव्य को दुर्गन्धयुक्त होना और सुघंने की शक्ति नष्ट हो जाना है, लेकिन प्रतिश्याय यानी जुकाम में नाक बन्द नहीें होती पतला पानी की तरह तरल पदार्थ सफेद कभी पीला आता है ।
उपचारः- 1. किसी भी प्रकार की एलर्जी को दुर करने या उससे छुटकारा पाने के लिए दुध में हल्दी ,सोठं का पाउडर समान मात्रा में 2-2 ग्राम 200 मिली ग्राम दुध में उबालकर रात्रि में लेवे ।
2. जुकाम होनेपर छाती में सरसों का तेल ,सेधां नमक कपूर मिलाकर गर्म करके लगाने के बाद छाती को गर्म कपडे से ढक लें ।
3. आवंले का प्रयोग किसी न किसी रूप में प्रत्येक मौसम मे करें,यह रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है । जैसे जुस,अचार,चटनी अादि
4. बुखार तथा जुकाम की स्थिती में नहाने से बचें और गर्म कपडें का प्रयोग करे, मोटरसाईकिल या स्कूटर अादि के प्रयोग से बचें ।
5. दशमुल में उबला पानी दो या तीन बार प्रयोग करे ,ठंडे वातावरण से अपने को बचाने का प्रयास करें ।
6. भोजन मे कफ कारक ठडें बर्फ युक्त पदार्थो का सेवन न करें ।
1- एलर्जी (Allergy)
2- प्रतिश्याय (जुकाम) दुष्ट प्रतिश्याय यानी साइनासाइटिस (Sinusitis)
1- एलर्जीः-
एलर्जी स्वयं में कोई बीमारी नहीं बल्कि कष्टकारक लक्षण उत्पन्न करती है , जिससे शरीर में एक विशेष प्रकार की अनुभूति होती है, जिसे उलझन या अनचाहापन कह सकते है ,एलर्जी मौसत बदलने ,झाडु लगाने ,किसी विशेष प्रकार की गंध,दुर्गधं ( पेंट,डीजल,पैट्रोल) आदि से उत्पन्न होता है,जिससे एक साथ कई छीकें आना,नाक बन्द हो जाना, पेट की गडबडी आंखों में पानी आना त्वचा में खुजली ,फुन्सिया होना ,चकते पड जाना गले खराब ,खांसी सांस लेने मे तकलीफ जैसे लक्षण की उत्पत्ति हो सकती है ।
एलर्जी कई प्रकार की होती हैः-
1. मौसम बदलने से प्रभावित एलर्जी
2. सर्द गर्म मे प्रभाव से होने वाली एलर्जी
3. स्पर्श एलर्जी (छुने या संपर्क मे आने से)
मौसम बदलने(विशेष रूप से सुबह या शाम या एक गर्म दिन पर अचानक बारिश की तरह मौसम में अचानक बदलाव) ,वर्षा में भीगनें गीले कपडे अधिक देर तक पहनने, नहाने के बाद पखें के नीचे आकर पानी सुुखाने जैसे कारणों से अचानक छींके आना प्रारम्भ हो सकता है, और फिर लगातार एक दो नहीं पांच - सात छींके एक साथ आती रहती है , नाक एवं अाॅंखोंं से पानी बहना आरम्भ हो जाता है
2- प्रतिश्याय (जुकाम) दुष्ट प्रतिश्याय यानी साइनासाइटिस (Sinusitis):-
प्रतिश्याय (जुकाम) भी कफ विकार का रोग है, बदलते मौसम के मिजाज ,सर्दी में भीगने,सर्द हवा के प्रभाव,शीतल पेय पदार्थो के सेवन ,अधिक दही छांछ ,बर्फयुक्त पदार्थो का प्रयोग करने से जुकाम यानी प्रतिश्याय रोग की उत्पत्ति होती है ,जो प्रारम्भिक अवस्था में छींके आना नाक से पानी बहना जैसे लक्षण उत्पन्न कर बाद में भयानक रूप ले सकता है,
जुकाम कई प्रकार का होता हैः-
1. वायु जन्य प्रतिश्याय
2. पित्त जन्य प्रतिश्याय
3. कफ जन्य प्रतिश्याय
4.त्रिदोष जन्य प्रतिश्याय
साइनासाइटिस यानी पीनस रोग में कभी कफ के कारण नासामार्ग अवरूद् हो जाता है,तो कभी सामान्य हो जाता है,जिसके कारण रोगी सांस लेने में भी कष्ट का महसुस करने लगता है, साइनासाइटिस यानी पीनस रोग का प्रमुख लक्षण नाक का बन्द होना तथा नाक से बहने वाले द्रव्य को दुर्गन्धयुक्त होना और सुघंने की शक्ति नष्ट हो जाना है, लेकिन प्रतिश्याय यानी जुकाम में नाक बन्द नहीें होती पतला पानी की तरह तरल पदार्थ सफेद कभी पीला आता है ।
उपचारः- 1. किसी भी प्रकार की एलर्जी को दुर करने या उससे छुटकारा पाने के लिए दुध में हल्दी ,सोठं का पाउडर समान मात्रा में 2-2 ग्राम 200 मिली ग्राम दुध में उबालकर रात्रि में लेवे ।
2. जुकाम होनेपर छाती में सरसों का तेल ,सेधां नमक कपूर मिलाकर गर्म करके लगाने के बाद छाती को गर्म कपडे से ढक लें ।
3. आवंले का प्रयोग किसी न किसी रूप में प्रत्येक मौसम मे करें,यह रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है । जैसे जुस,अचार,चटनी अादि
4. बुखार तथा जुकाम की स्थिती में नहाने से बचें और गर्म कपडें का प्रयोग करे, मोटरसाईकिल या स्कूटर अादि के प्रयोग से बचें ।
5. दशमुल में उबला पानी दो या तीन बार प्रयोग करे ,ठंडे वातावरण से अपने को बचाने का प्रयास करें ।
6. भोजन मे कफ कारक ठडें बर्फ युक्त पदार्थो का सेवन न करें ।
इसके अलावा आप मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्ट कं का ''एलर्जीक्याेर चुर्ण'' (एलर्जी दवा) व पुराने से पुराने जुकाम के लिए ''साइनोक्लिन पाउडर'' (नजला नाशक चूर्ण) लेवें, यह विभीन्न प्रकार के जडी बुटीयों से मिलकर तैयार किया गया है, जिसके प्रयोग से समस्त प्रकार का एलर्जी व नजला (जुकाम) दुर हो जाता है ,बेहतर परिणाम के लिए और अगर कफ जमा हुआ है तो इसके साथ कोफनिल अवलेह का भी इस्तेमाल करे ।
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