gallblader stone cure| size |pain |cure
CALL or whats app-8104252102 पथरी एक भयंकर रोग (भाग 2) यह पोस्ट पित्त कि पथरी (#Gallbladderstone) से संम्बधित है, गुर्दे एवं मुत्र नली की पथरी से संम्बधिंत जानकारी के लिए पेज पर भाग 1 का पोस्ट पढें Stone Dangerous disorder Part 2:-this post is related to Bilary Stone(Gall bladder Stone) (To Read Text in English Scroll Down) पित्त की पथरी ः- लीवर के निचले सतह से जुडी रहने वाली,नाशपाती के आकार की 10 सेमी लम्बी व 3 से 5 सेमी चौडी एक थैली होती है जिसे पित्ताशय व पित्त की थैली कहते है । पित्त की थैली में दो तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती है एक पित्ताशय का फूलना या इन्फ्लेमेशन(INFLAMATION),जिसे कोलीस्टासिस (CHOLESTASIS) कहते है और दूसरी पित्त पथरी (GALLBLADDER STONE) के नाम से जाना जाता है । जब कोलेस्ट्राल और बाइल साल्ट्स के औसत में बदलाव आ जाता है तब यह स्थिति पथरी पैदा कर देती है । पित्त पथरी के लक्षणः- जब तक पथरी पित्ताशय में पड़ी रहती है, तब तक विशेष लक्षण प्रकट नहीं होते, परन्तु जब अश्मरी अपने स्थान से सरक कर पित्त स्त्रोत में आकर अटक जाती है तो असहनीय पीड़ा होती है खासकर पित्त पथरी की पीड़ा रात्रि के समय विशेषतः होती है, यह दर्द रूक रूककर होता है जिसमें रोगी छटपटा जाता है । यह शुरूआत में बारीक कंकड़ की तरह होती है लेकिन बाद में इसपर परत दर परत चढ़ती जाती है और यह बड़ा रूप ले लेती है । इन्फ्लेमेशन के कारण भी पथरी की शिकायत हो सकती है, पुरूषो के मुकाबले महिलाओं को पित्त पथरी की शिकायत ज्यादा रहती है खासकर मोटे लोगो में । इसके अतिरिक्त अपचन, गैस,कब्िजयत,मिचली,वमन प्रतीत होना, चिकानाई युक्त चीजों का न पचना, चक्कर आना, कमर व पेट में दर्द व ऐंठन होना, खून की कमी, पीलिया , बवासीर, वेरिकन्स वेन्स,सुक्ष्म रक्त वाहिनियों मे टूट फूट आदि लक्षण भी पित्ताशय की गड़बड़ी के कारण हो सकते हैं । पित्त पथरी के कारणः- पित्ताशय की पथरी का मुख्य कारण है पाचन क्रिया में होनें वाली दिक्कते,जो खानें में कार्बोहाइड्रेट लेने से होती है, वात बढ़ाने वाला व वसा युक्त आहार पित्त पथरी के दर्द व ऐंठन का कारण बन जाता है । कच्चे चावल,मिटृी,बत्ती चोक खानें के कारण,अत्यधिक ठोस व गरिष्ठ आहार के सेवन से यह पथरी होने की सम्भावना बढ़ जाती है । इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य का ठीक न होना,गलत मुद्रा के सोना या बैठना, मॉेसपेशियों में तनाव आदि समस्याए पित्त पथरी के लिए जिम्मेदार हो सकती है। बचाव के उपायः- पित्ताशय की थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने पर खानपान को सही रखना बेहद जरूरी होता है । पित्ताशय में यदि बहुत अधिक इन्फ्लेमेशन है तो मरीज को दो या तीन दिन तक उपवास करना चाहिए । जब तक वह समस्या खत्म न हो जाए । इस समय सिर्फ पानी (उबालकर ठण्डा किया हुआ) ,चकोतरा,नींबू,सन्तरा,अंगूर,गाजर ,चुकन्दर का जूस व मूली का जूस पीना चाहीए । दही,कॅाटेज चीज़ और एक चम्मच अॉलिव आॅयल (जैतून तेल) भी दिन में दो बार लें , इन्द्रजौ मिठा 10 ग्राम और हरी ईलाइची 10 ग्राम एक सफेद सूती कपड़े में पोटली बनाकर पीने वाले पानी ( लगभग 4 लीटर) में डाल के रखें ,जब भी प्यास लगें तो उसी पानी को पियें, यह रोज़ करें तथा हर 5 दिन बाद पोटली बदल लेवें। इसके अलावा मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्ट कं का "जी. बी. क्योर पाउडर" (पित्त पथरी कि दवा) भी पित्त पथरी के लिए बहुत कारगर दवा है , यह पथरी को गला कर मल के साथ निकालने में सहायक है । यह पूर्णतः आयुर्वेदिक औषधी है ,इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है । परहेजः- सभी तरह के मॉंस,अंडे,प्रोस्टेड व डीनचर्ड फैट्स,तले भुने चिकानाई युक्त आहार ,शक्कर, अल्कोहल (शराब),केक,मैदे से बने खाद्य पदार्थ ,काॅफी इत्यादि। सेवन विधि- दिन में 2 बार 1 चम्मच दवा खाना खाने के 1 घंटा बाद गुनगुने पानी के साथ।
CALL or whats app-8104252102 पथरी एक भयंकर रोग (भाग 2) यह पोस्ट पित्त कि पथरी (#Gallbladderstone) से संम्बधित है, गुर्दे एवं मुत्र नली की पथरी से संम्बधिंत जानकारी के लिए पेज पर भाग 1 का पोस्ट पढें Stone Dangerous disorder Part 2:-this post is related to Bilary Stone(Gall bladder Stone) (To Read Text in English Scroll Down) पित्त की पथरी ः- लीवर के निचले सतह से जुडी रहने वाली,नाशपाती के आकार की 10 सेमी लम्बी व 3 से 5 सेमी चौडी एक थैली होती है जिसे पित्ताशय व पित्त की थैली कहते है । पित्त की थैली में दो तरह की दिक्कतें पैदा हो सकती है एक पित्ताशय का फूलना या इन्फ्लेमेशन(INFLAMATION),जिसे कोलीस्टासिस (CHOLESTASIS) कहते है और दूसरी पित्त पथरी (GALLBLADDER STONE) के नाम से जाना जाता है । जब कोलेस्ट्राल और बाइल साल्ट्स के औसत में बदलाव आ जाता है तब यह स्थिति पथरी पैदा कर देती है । पित्त पथरी के लक्षणः- जब तक पथरी पित्ताशय में पड़ी रहती है, तब तक विशेष लक्षण प्रकट नहीं होते, परन्तु जब अश्मरी अपने स्थान से सरक कर पित्त स्त्रोत में आकर अटक जाती है तो असहनीय पीड़ा होती है खासकर पित्त पथरी की पीड़ा रात्रि के समय विशेषतः होती है, यह दर्द रूक रूककर होता है जिसमें रोगी छटपटा जाता है । यह शुरूआत में बारीक कंकड़ की तरह होती है लेकिन बाद में इसपर परत दर परत चढ़ती जाती है और यह बड़ा रूप ले लेती है । इन्फ्लेमेशन के कारण भी पथरी की शिकायत हो सकती है, पुरूषो के मुकाबले महिलाओं को पित्त पथरी की शिकायत ज्यादा रहती है खासकर मोटे लोगो में । इसके अतिरिक्त अपचन, गैस,कब्िजयत,मिचली,वमन प्रतीत होना, चिकानाई युक्त चीजों का न पचना, चक्कर आना, कमर व पेट में दर्द व ऐंठन होना, खून की कमी, पीलिया , बवासीर, वेरिकन्स वेन्स,सुक्ष्म रक्त वाहिनियों मे टूट फूट आदि लक्षण भी पित्ताशय की गड़बड़ी के कारण हो सकते हैं । पित्त पथरी के कारणः- पित्ताशय की पथरी का मुख्य कारण है पाचन क्रिया में होनें वाली दिक्कते,जो खानें में कार्बोहाइड्रेट लेने से होती है, वात बढ़ाने वाला व वसा युक्त आहार पित्त पथरी के दर्द व ऐंठन का कारण बन जाता है । कच्चे चावल,मिटृी,बत्ती चोक खानें के कारण,अत्यधिक ठोस व गरिष्ठ आहार के सेवन से यह पथरी होने की सम्भावना बढ़ जाती है । इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य का ठीक न होना,गलत मुद्रा के सोना या बैठना, मॉेसपेशियों में तनाव आदि समस्याए पित्त पथरी के लिए जिम्मेदार हो सकती है। बचाव के उपायः- पित्ताशय की थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने पर खानपान को सही रखना बेहद जरूरी होता है । पित्ताशय में यदि बहुत अधिक इन्फ्लेमेशन है तो मरीज को दो या तीन दिन तक उपवास करना चाहिए । जब तक वह समस्या खत्म न हो जाए । इस समय सिर्फ पानी (उबालकर ठण्डा किया हुआ) ,चकोतरा,नींबू,सन्तरा,अंगूर,गाजर ,चुकन्दर का जूस व मूली का जूस पीना चाहीए । दही,कॅाटेज चीज़ और एक चम्मच अॉलिव आॅयल (जैतून तेल) भी दिन में दो बार लें , इन्द्रजौ मिठा 10 ग्राम और हरी ईलाइची 10 ग्राम एक सफेद सूती कपड़े में पोटली बनाकर पीने वाले पानी ( लगभग 4 लीटर) में डाल के रखें ,जब भी प्यास लगें तो उसी पानी को पियें, यह रोज़ करें तथा हर 5 दिन बाद पोटली बदल लेवें। इसके अलावा मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्ट कं का "जी. बी. क्योर पाउडर" (पित्त पथरी कि दवा) भी पित्त पथरी के लिए बहुत कारगर दवा है , यह पथरी को गला कर मल के साथ निकालने में सहायक है । यह पूर्णतः आयुर्वेदिक औषधी है ,इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है । परहेजः- सभी तरह के मॉंस,अंडे,प्रोस्टेड व डीनचर्ड फैट्स,तले भुने चिकानाई युक्त आहार ,शक्कर, अल्कोहल (शराब),केक,मैदे से बने खाद्य पदार्थ ,काॅफी इत्यादि। सेवन विधि- दिन में 2 बार 1 चम्मच दवा खाना खाने के 1 घंटा बाद गुनगुने पानी के साथ।
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