बवासीर से निजात :
आज की भागदौड भरी जिंदगी में यम, आैर नियम आसन का पालन संभव नही हो पाता है, खासकर महानगरीय आैर उपनगरीय शहरो में िस्थ्ती प्रकृित के बिल्कुल प्रतीकुल है। एेसी जीवन शैली या दिनचर्या में कब्जियत की शिकायत आम बात हो गयी है। कब्जियत के कारण कभी कभी ताे मलाशय का पुरा का पुरा भाग गु्र्र्दा मार्ग से बाहर निकल आता है, जिसे फिष्चुला कहते है। इसका उपचान केवल शल्य चिकित्सा से ही संभव है।
बवासीर का कारण:
मांस, मछली आैर अंडे समेत अत्यधिक गरिष्ट खान पान वाली जीवन शैली, जिसमें नियमीत रूप से फास्ट फुड का सेवन शामिल हो, बवासीर का सामान्य कारण है।
उपचार:
बवासीर एवं खुनी बवासीर के उपचार में हम आेल, जिसे जमीकंद आैर सुरन भी कहते है। आैषधि के रूप में हम देशी आेल का उपयोग करते है। आेल में निकली गांठ को अलग करके उसके उपरी छिलके को हटा देते है। अब उसे छोटे छोटे टुकडों मे काट लेते है, इन टुकडों में मक्खन मिला देते है। प्रतिदीन सुबह खाली पेट मक्खन मिले आेल के पांच टुकडें एक एक कर निगलते है आैर उपर से एक गिलास पानी पी लेते है। यह उपचार केवल सात दिनों तक करते है । इसके साथ आेल को उबालकर इसमें हरी मिर्च, नमक,सरसौ का तेल आैर नींबू मिलाकर चोखा बनाते है। जिसको उबले चावल के साथ सातो दिन खाना चाहिए।
इसके अलावा मोहनजी पंसारी हर्र्बल प्रोडक्ट कं का अर्शहर चूर्ण से भी बवासीर से निजात पाया जा सकता है, जो कि समस्त प्रकार के खूनी व बादी की बवासीर को ठीक करने में सहायक है।
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