Thursday, 25 August 2016

नजला जुकाम



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श्वसन प्रणाली के वि‍भीन्न रोगः-
यह पोस्‍ट अनुर्जता (एलर्जी),नजला जुकाम एवं एलर्जी अस्‍थमा के बारे मे है ।
Different Diseases in respiratory system
This post is related to Allergic and normal Cold, Sinus And Allergic & bronchitis asthama
(FOR INFROMATION IN ENGLISH PLEASE SCROLL DOWN)
मित्रों आज हम आपको अस्थमा के कारण सांस लेना क्यों कठीन हो जाता है,यह बतायेगें ।
1- एलर्जी (Allergy)
2- प्रतिश्याय (जुकाम) दुष्ट प्रतिश्याय यानी साइनासाइटिस (Sinusitis)
1- एलर्जीः-
एलर्जी स्वयं में कोई बीमारी नहीं बल्कि कष्टकारक लक्षण उत्पन्न करती है , जिससे शरीर में एक विशेष प्रकार की अनुभूति होती है, जिसे उलझन या अनचाहापन कह सकते है ,एलर्जी मौसत बदलने ,झाडु लगाने ,किसी विशेष प्रकार की गंध,दुर्गधं ( पेंट,डीजल,पैट्रोल) आदि से उत्पन्न होता है,जिससे एक साथ कई छीकें आना,नाक बन्द हो जाना, पेट की गडबडी आंखों में पानी आना त्वचा में खुजली ,फुन्सिया होना ,चकते पड जाना गले खराब ,खांसी सांस लेने मे तकलीफ जैसे लक्षण की उत्पत्ति हो सकती है ।
एलर्जी कई प्रकार की होती हैः-
1. मौसम बदलने से प्रभावित एलर्जी
2. सर्द गर्म मे प्रभाव से होने वाली एलर्जी
3. स्पर्श एलर्जी (छुने या संपर्क मे आने से)
मौसम बदलने(विशेष रूप से सुबह या शाम या एक गर्म दिन पर अचानक बारिश की तरह मौसम में अचानक बदलाव) ,वर्षा में भीगनें गीले कपडे अधिक देर तक पहनने, नहाने के बाद पखें के नीचे आकर पानी सुुखाने जैसे कारणों से अचानक छींके आना प्रारम्भ हो सकता है, और फिर लगातार एक दो नहीं पांच - सात छींके एक साथ आती रहती है , नाक एवं अाॅंखोंं से पानी बहना आरम्भ हो जाता है
2- प्रतिश्याय (जुकाम) दुष्ट प्रतिश्याय यानी साइनासाइटिस (Sinusitis):-
प्रतिश्याय (जुकाम) भी कफ विकार का रोग है, बदलते मौसम के मिजाज ,सर्दी में भीगने,सर्द हवा के प्रभाव,शीतल पेय पदार्थो के सेवन ,अधिक दही छांछ ,बर्फयुक्त पदार्थो का प्रयोग करने से जुकाम यानी प्रतिश्याय रोग की उत्पत्ति होती है ,जो प्रारम्भिक अवस्था में छींके आना नाक से पानी बहना जैसे लक्षण उत्पन्न कर बाद में भयानक रूप ले सकता है,
जुकाम कई प्रकार का होता हैः-
1. वायु जन्य प्रतिश्याय
2. पित्त जन्य प्रतिश्याय
3. कफ जन्य प्रतिश्याय
4.त्रिदोष जन्य प्रतिश्याय
साइनासाइटिस यानी पीनस रोग में कभी कफ के कारण नासामार्ग अवरूद् हो जाता है,तो कभी सामान्य हो जाता है,जिसके कारण रोगी सांस लेने में भी कष्ट का महसुस करने लगता है, साइनासाइटिस यानी पीनस रोग का प्रमुख लक्षण नाक का बन्द होना तथा नाक से बहने वाले द्रव्य को दुर्गन्धयुक्त होना और सुघंने की शक्ति नष्ट हो जाना है, लेकिन प्रतिश्याय यानी जुकाम में नाक बन्द नहीें होती पतला पानी की तरह तरल पदार्थ सफेद कभी पीला आता है ।
उपचारः- 1. किसी भी प्रकार की एलर्जी को दुर करने या उससे छुटकारा पाने के लिए दुध में हल्दी ,सोठं का पाउडर समान मात्रा में 2-2 ग्राम 200 मिली ग्राम दुध में उबालकर रात्रि में लेवे ।
2. जुकाम होनेपर छाती में सरसों का तेल ,सेधां नमक कपूर मिलाकर गर्म करके लगाने के बाद छाती को गर्म कपडे से ढक लें ।
3. आवंले का प्रयोग किसी न किसी रूप में प्रत्येक मौसम मे करें,यह रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है । जैसे जुस,अचार,चटनी अाद‍ि
4. बुखार तथा जुकाम की स्थिती में नहाने से बचें और गर्म कपडें का प्रयोग करे, मोटरसाईकिल या स्कूटर अादि के प्रयोग से बचें ।
5. दशमुल में उबला पानी दो या तीन बार प्रयोग करे ,ठंडे वातावरण से अपने को बचाने का प्रयास करें ।
6. भोजन मे कफ कारक ठडें बर्फ युक्त पदार्थो का सेवन न करें ।
इसके अलावा आप मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्ट कं का ''एलर्जीक्याेर चुर्ण'' (एलर्जी दवा) व पुराने से पुराने जुकाम के लिए ''साइनोक्लिन पाउडर'' (नजला नाशक चूर्ण) लेवें, यह विभीन्न प्रकार के जडी बुटीयों से मिलकर तैयार किया गया है, जिसके प्रयोग से समस्त प्रकार का एलर्जी व नजला (जुकाम) दुर हो जाता है ,बेहतर पर‍िणाम के ल‍िए और अगर कफ जमा हुआ है तो इसके साथ कोफन‍िल अवलेह का भी इस्‍‍तेमाल करे ।

कील मुहांसे दूर करे



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सुंदरता को चार चांद लगा देता है उबटनः
पुराने जमाने में तो रसोई घर में मौजूद सामान से ही न स‍िर्फ छोटी मोटी बीमार‍ियों का इलाज कर ल‍िया कर ल‍िया जाता था , बल्‍क‍ि खुबसूरती न‍िखारनें के ल‍िए सौन्‍दर्य प्रसाधन तक तैयार कर लि‍ए जाते थें । सुन्‍दरता बढानें के ल‍िए उबटन बहुत ही बेहतरीन उपाय है ।
पूरे शरीर में उबटन लगाने का सूत्र (सामान्‍य ब्‍यूटी मसाज के ल‍िए)ः
चार चम्‍मच चना पाउडर, दो चम्‍मच सरसों या अरंडी का तेल,एक चम्‍मच हल्‍दी पाउडर, एक चम्‍मच मेथी पाउडर, एक चम्‍मच अंकु‍र‍ित गेंहू का तेल,
अौर एक चौथाई चम्‍मच गुलाब का तेल ।
चेहरें पर लगाए जाने के ल‍िए उबटन बनाने की व‍िधीः
एक चम्‍मच बादाम पेस्‍ट, डेढ चम्‍मच प‍िस्‍ता पेस्‍ट, एक चम्‍मच काजू पेस्‍ट, एक चम्‍मच मलाई,एक चम्‍मच अंकुर‍ित गेंहू का तेल, एक चम्‍मच गुलाब जल, एक चौथाई कप लाल मसूर की दाल की पेस्‍ट, इसे थोडी देर सुखने दें और गुनगुने पानी से धो दें ।
- दो चम्‍मच बेसन, आधा चम्‍मच चम्‍मच हल्‍दी पाउडर एक चम्‍मच चंदन पाउडर, इन सभी को दूध में म‍िलाएं ।
आप इसे स्‍नान करते वक्‍त इस्‍तेमाल कर सकती है या इसे फेशवास के रूप में भी इस्‍तेमाल कर सकते है , इसे फेशपैक बनाना आसान होता है ।
- गोरी त्‍वचा के ल‍िए ः - इस उबटन को नहाने जाने से 15 म‍िनट पहले लगाएं।
इससे आपके चेहरे पर न‍िखार आएगा और आपका चेहरा दमकेगा ।
यह मुहांसो ,काले और सफेद मस्‍से वाली त्‍वचा के ल‍िए बहुत ही अच्‍छा होता हैा
इसके अलावा मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्ट कं का "चन्‍द्रबदन उबटन " चेहरे तथा शरीर के ल‍िए बहुत उपयोगी लेप है , यह उबटन चना दाल,मंसूर दाल,खीरा,
गुलर फल,गुलाब पुष्‍प, जौ, सरसौं प‍िली, देवदारू,हल्‍दी,मज‍िष्‍ट,लोध्र आदी औषध‍ियों से म‍िलाकर तैयार क‍िया गया है,जो त्‍वचा को न‍िखारनें, अनचाहें बालों की वृद‍ि रोके, झुर‍िया कम करके त्‍वचा को जवां बनाता है ।

लेमन टी स्फूर्ति एवं ताजगी के लिए




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लेमन टी के फायदेः- (वजन घटाने और थकान म‍िटाने के ल‍िए)
नींबू को अक्सर हम अपने भोजन में सलाद के रूप में लेते हैं। गर्मीयों के दिनों में नींबू पानी के सेवन से आपकी थकान मिटती है साथ ही आप चुस्त और उर्जावान हो जाते हो। ठीक इसी तरह से नींबू की चाय आपको एैसे फायदे दे सकती है जिनके बारे में शायद आपको अभी तक पता भी न हो। सेहत को बनाने के लिए नींबू महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
नींबू चाय के सेहतवर्धक फायदे (Health benefits of lemon tea)-
1. नींबू की चाय पीने से दिमाग की तंत्रक्रियाएं शांत होती है। और दिमाग शीतल रहता है।
2. लेमन टी पीने से सिर दर्द कम होता है। साथ ही यह शरीर में होने वाली सामान्य कमजोरी को दूर करता है।
3. यदि आपका दिमाग थक गया है। या चिंतित है तो आप लेमन टी का सेवन करें। यह चिंता या तनाव को उर्जा में बदल देता है।
4. लेमन टी के नियमित सेवन से आपका पाचन तंत्र ठीक रहता है।
5. आप भी सुबह की शूरूआत नींबू की चाय से कर सकते हो। यह दूसरी चायों से बेहद सुरक्षित और उर्जावान होती है।
6. यदि आपके हाथों में बदबू आ रही हो तो आप नींबू की चाय से भी हाथों को धो सकते हो। इससे हाथों से बदबू चली जाती है।

दिल की सेहत के लिए फायदेमंद-
हाल ही में हुए अघ्धयन में इस बात का पता चला की लेमन टी के सेवन से काफी हद तक दिल संबंधी रोगों को रोका जा सकता है। लेमन टी में मौजूद flavonoids शरीर की सूजन को कम करती है। जिन लोगों को खून का थक्का नहीं जमता उन्हें भी लेमन टी पीनी चाहिए।
हृदय रोगों में तो बेहद असरकारी प्राकृतिक दवा है लेमन टी।
नींबू की चाय इंसुलिन की गतिविधि में सहायता करती है। यह शरीर में चीनी के जरिए यानि ग्लूकोज से उर्जा का उत्पादन कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
खाना खाने के 1 घंटे पहले लेमन टी को पीने से खाने की भूख बढ़ती है और यदि खाना खाने के बाद लेमन टी का सेवन करने से खाना पचता है।
प्राकृति ने नींबू को अच्छी सेहत के लिए बनाया है। नींबू का प्रयोग आप अधिक से अधिक करें। नींबू की चाय से आप कई बीमारियों से मुक्त हो सकते हो साथ ही साथ लंबी उम्र तक जी सकते हो।
अगर आप मोटापे का शिकार हैं तो नार्मल चाय पीने की बजाए नींबू वाली चाय पीजिये। नींबू की चाय पेट को भी साफ करता है और शरीर से गंदगी को भी बाहर निकालती है। तो अगर आपको वजन कम करना है और स्‍वस्‍थ्‍य रहना है तो नींबू की चाय बना कर रोज सुबह पियें।
मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्‍ट कं का लेमन टी बनाने में बहुत ही आसान व सेहत के ल‍िए लाभकरी है मोहनजी लेमन टी बनाने कि‍ व‍िधी -
1 कप पानी को उबालकर उसमें 1/2 चम्‍मच लेमन टी डालकर उसे प‍ियें ा

शुगर मधुमेह में लाभ के लिए कैप्सूल या पाउडर



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मधुमेह की जानकारी एवं उपचार(प्रथम भाग)
Diabetes - Information and Treatment
(for content in english Scroll Down)
PAYMENT FOR 2 BOX (60 CAPSULES EACH) 2 MONTHS 800/- ONLY
मधुमेह की जानकारी ः मधुमेह (डायब‍िटीज) या ज‍िसे बोलचाल की भाषा में शुगर की बीमारी कहते है, से कमोवेश सभी लोग प‍र‍िच‍ित है, यद‍ि ध्‍यान न द‍िया जाय तो यह रोग शरीर के ल‍िए घातक स‍िद् हो सकता है । व‍िश्‍व में कम से कम 30 करोड मधुमेह से ग्रस्‍त रोगी है । अपने देश में शुगर रोग तेजी से बढ रहा है, और पश्‍‍िचमी रहन सहन अपनाने के कारण यह रोग भारत में तेजी से बढ रहा है ।अतः इस रोग की जानकारी एवं रोकथाम के बारे में सभी को पता होना चाहीए ,
मधुमेह दो प्रकार के होते है , मधुमेह टाइप 1, और मधुमेह टाइप 2 ।
(टाइप 1 व टाइप 2 के लक्षणों के बारे में हम आपको अगले पोस्‍ट में बतायेगें)
मधुमेह (डायव‍िटीज) रोग के सामान्‍य लक्षणः शुगर रोग के सामान्‍य तौर पर शुरूआत में कोई व‍िशेष लक्षण नही होता है , परतुं कई बार जब शरीर पर चोट लगने पर घाव बनता है , अौर वह ठीक होनें की बजाय बढता जाता है तो च‍िक‍ित्‍सक शंका हाेने पर रक्‍त एवं मुत्र मे शर्करा की जॉच करवाने की सलाह देते है । मधुमेह के प्रमुख लक्षणाें में बहुत अध‍िक प्‍यास और भुख का बढना, बार बार पेशाब अाना, तथा अत्‍यध‍िक पसीना आना भी है ।
बार बार पेशाब जाना, वजन और भुख लगना , वजन कम होना, व‍िशेषकर युवा मरीजों में वजन कम होने की श‍िकायत अध‍िक म‍िलती है ।
सावधान‍ियॉ एवं उपचारः सबसे पहले भोजन की च‍िक‍ित्‍सा व‍िशेष महत्‍व रखती है, यद‍ि डायब‍िटीज रोग है तो सबसे पहले जो भोजन करे उसमें इतना कार्बोहाइड्रेट होना चाहीए कि वह शरीर में खप जाए और मुत्र से न न‍िकलें ।
यद‍ि आपको डायब‍‍िटीज ज्‍यादा मात्रा में हो तो इन वस्‍तुओं का सेवन अध‍िक मात्रा में करे ।
करेलाः करेला डायब‍िटीज के लिए बहुत ही अच्‍छा है, करेले का जुस बीजों सह‍ित द‍िन में दो बार एक ग‍िलास पीनें से काफी आराम म‍िलता है, इसके अलावा सुखे करेला का पाउडर हल्‍के गर्म पानी कें साथ लेने से भी फायदा होता है ।
जामुनः जामुन के फल डायब‍िटीज में बहुत ही लाभदायक है । इसके बीजों का पाउडर लेने से काफी लाभ होता है ।
मेथीः मेथ्‍ाी के बीज या पत्‍ते की सब्‍जी बनाकर ले सकते है, काफी फायदा होता है ।
इसके अलावा मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्ट कं का "शुगरन‍िल पाउडर /कैप्‍सूल एवं आटा" भी डायब‍िटीज के लिए बहुत महत्वपूर्ण दवा एवं भोजन है , इसमे गुडमार,जामुन,करेला,मेथी,गोरखमुण्‍डीं,नीमपत्‍ता,व‍िजयसार,श‍िलाजीत, आदी बहुमुल्य आैषधियों का मिश्रण है ,जो की डायब‍िटीज को न‍ियत्रंण करने में सहायक है ।
ध्यान देनी वाली बात यह है की शुगर के मरीज़ को नित नियम 4-5 किलोमीटर पैदल चलना चाहिए या फिर 45-60 मिनट कसरत करनी चाहिए। इससे शरीर में मौजूद अधिक एवं गैरज़रूरी शर्करा की खपत हो जाती है जिसके कारण कई मरीजों को दवा की ज़रूरत भी नहीं रहती।
नोटः इस भाग में हमने आपको शुगर रोग के कुछ लक्षणों और उपचार एवं बचाव औषधीयों के बारे में बताया है, दसरे भाग में शुगर के दोनो टाइप के लक्षण एवं गर्भवती मह‍िलाओं के शुगर रोग से बचाव , एवं औषधी के बारे में बतायेगें । अतः आप सभी हमारे पाठक लगातार पाेस्‍ट को पढतेे रहें ।

Tuesday, 23 August 2016

सफ़ेद पानी महिलाओं के लिए श्वेत प्रदर




    CALL-8104252102       PRICE- 350/-
    (INCLUDE 2 PACK 100gm  & SOMNATH VATI for ONE MONTH )
    http://samvitaayurved.blogspot.in/2016/08/blog-post_13.html
    ल्यूकोरिया यह एक महिलाओ सम्बंधित रोग हे इसे LIKORIA(LEUCORRHOEA) यानि की WHITE DISCHARGE जिसे श्वेत प्रदर भी बोला जाता हे, यह महिलाओ में होने वाला रोग हे, इस रोग में योनी से बहुत ज्यादा सफ़ेद बदबूदार पानी आता हे, महिलाओ में ये रोग आम होता हे,
    http://samvitaayurved.blogspot.in/2016/08/blog-post_13.html
    LIKORIA कोई बीमारी नहीं हे किन्तु कई बीमारियों का कारण बन सकता हे, इसके कई कारण हो सकते हे जैसा की ज्यादा देर भूखे पेट रहना, बार बार ABORTION कराना, प्रोटिस्ट(PROTIST) आदि, लयूकोरिया के मरीज को बहुत सी चीजो को AVOID करना होता हे जैसे की ज्यादा SPICY और FRIED खाना  चाय काफी खट्टा आदि
    लक्षण
    http://samvitaayurved.blogspot.in/2016/08/blog-post_13.html
  1. VAGINA में खुजली होना,
  2. कमर में PAIN होना,
  3. चकर आना,
  4. कमजोरी लगना,
  5. आँखों के निचे डार्क सर्किल आना,

  6. इस रोग से आराम पाने के लिए LEUCOCURE POWDER का इस्तेमाल करे



Sunday, 21 August 2016

बवासीर और कब्ज से राहत के लिए


बवासीर से निजात :
आज की भागदौड भरी जिंदगी में यम, आैर नियम आसन का पालन संभव नही हो पाता है, खासकर महानगरीय आैर उपनगरीय शहरो में िस्थ्ती प्रकृित के बिल्कुल प्रतीकुल है। एेसी जीवन शैली या दिनचर्या में कब्जियत की शिकायत आम बात हो गयी है। कब्जियत के कारण कभी कभी ताे मलाशय का पुरा का पुरा भाग गु्र्र्दा मार्ग से बाहर निकल आता है, जिसे फिष्चुला कहते है। इसका उपचान केवल शल्य चिकित्सा से ही संभव है।
बवासीर का कारण:
मांस, मछली आैर अंडे समेत अत्यधिक गरिष्ट खान पान वाली जीवन शैली, जिसमें नियमीत रूप से फास्ट फुड का सेवन शामिल हो, बवासीर का सामान्य कारण है।

उपचार:
बवासीर एवं खुनी बवासीर के उपचार में हम आेल, जिसे जमीकंद आैर सुरन भी कहते है। आैषधि के रूप में हम देशी आेल का उपयोग करते है। आेल में निकली गांठ को अलग करके उसके उपरी छिलके को हटा देते है। अब उसे छोटे छोटे टुकडों मे काट लेते है, इन टुकडों में मक्खन मिला देते है। प्रतिदीन सुबह खाली पेट मक्खन मिले आेल के पांच टुकडें एक एक कर निगलते है आैर उपर से एक गिलास पानी पी लेते है। यह उपचार केवल सात दिनों तक करते है । इसके साथ आेल को उबालकर इसमें हरी मिर्च, नमक,सरसौ का तेल आैर नींबू मिलाकर चोखा बनाते है। जिसको उबले चावल के साथ सातो दिन खाना चाहिए।
इसके अलावा मोहनजी पंसारी हर्र्बल प्रोडक्ट कं का अर्शहर चूर्ण से भी बवासीर से निजात पाया जा सकता है, जो कि समस्त प्रकार के खूनी व बादी की बवासीर को ठीक करने में सहायक है।

Friday, 19 August 2016

पथरी किडनी एवं गुर्दे की जानकारी .



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पथरी भयंकर रोग (भाग 1) :-
Stone a Dangerous disorder (PART 1):-
(To Read Text in English Scroll Down)
पथरी को अश्मरी , आैर स्टोन या कैलकुलस भी कहते है । यह अधिकतर पित्ताशय मण्डल (Bilary System) यथा पित्ताशय एवं मूत्राशय मण्डंल ( Urinary System) ,गुर्दे की पथरी तथा मूत्राशय में पाई जाती है । यदि समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाएं तो यह यम के समान यातना पहुंचाती है । आयुर्वेद महर्षियों ने पथरी रोग को आठ महारोगो में माना है । क्योंकि पथरी यदी लंबे समय तक पडी. रहे तो न केवल उस अंग को क्षतिग्रस्त करती है, अपितु शरीर पर भी अनेक दुष्प्रभाव डालती है। यहां तक कि गुर्दे में रूकावट,शोथ, गुर्दे एंव शरीर पर सुजन गुर्दे का फेल हो जाना गुर्दे का कैंसर होना,पित्त की थैली में सुजन,पीलिया हो जाना, पित्ताशय का कैंसर आदि होने की संभावना रहती है । इसलिए कहा गया है कि पथरी का सर्वप्रथम इलाज आैषधि से करें परन्तु यदि आैषधियों से काम न चले ताे शल्य चिकि‍त्सा द्धारा आपरेशन कर निकाल दें। नहीं ताे यह जानलेवा हो सकती है ।
पथरी कैसे बनती है :- पित्त एवं मूत्र में तरलता की कमी एवं न घुलने वाले पदार्थो की अधिकता होने से श्लेष्मा से मिलकर पथरी बनती है ।
आगे की जानकारी गुर्दे एवं मूत्राशय की पथरी से सम्बंधि‍त है .(प‍ित्त कि‍ पथरी की जानकारी के ल‍िए आप हमारे पेज पर जी बी क्योर(पथरी भयंकर राेग भाग 2) की पोस्ट पढें )
गुर्दे की पथरी के लक्षण :- पथरी के आकार तथा स्थिती के अनुसार ये लक्षण होते है । आमतौर पर रोगी को इस रोग के कारण दर्द ,बार बार मुत्र आना तथा संक्रमण, मुत्र में अवरोध ,रोगी को अचानक कमर में तेज दर्द होता है । जो पीछे की आेर तथा जांघो की तरफ,वृष्णों की तरफ,लिंग के किनारे तक जाता है । दर्द धीरे धीरे बढता है आैर कुछ ही मिनटो में अति तीव्र हो जाता है । रोगी बेचैन हो जाता है आैर शारीरिक स्थितियां बदल-बदल कर चैन पाने की कोशि‍श करता है ।
उपाय:- - सामर्थ्य के अनुसार व्यायाम एवं परिश्रम करे ।
- हल्का एवं सुपाच्य भोजन करे ताजे,रेशे एवं रसदार फल एवं सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करें ।
- देखा गया है कि कब्ज के रोगियों को पित्ताशय की पथरी अधिक मिलती है । अत: पेट में कब्ज न होनें दे ।
- ज्यादा चर्बी वाले पदार्थ जैसे घी ,मक्खन,मलाईयुक्त दूध, सूखे मेवे आलू चीनी, मैदे से बनी एवं घी मे तली चीजो का सेवन न करे या कम से कम करें ।
परहेजः- कैल्शियम और लौह से संम्बधि‍ंत खाघ पदार्थो और सख्त ब‍ीज वाली सब्जिीयों व फल से परहेज रखें ।
- कलमीशोरा,नौशादर ,मुलीक्षार,खज्जीखार,जवाखार काली मिर्च,सोंठ,हरड.,एवं नरकचुर आदि से बनी दवा मूत्र खोलकर लाती है एवं पथरी को तोडकर दूर करती है ।
नोटः- कलमीशोरा का प्रयोग च‍िक‍ित्सक के निर्देशानुसार करे,अन्यथा यह हान‍िकारक हो सकता है ।
(स्टोनक्रैश दवा में कलमीशोरा प्रयोग नहीं क‍िया गया है)
- कुल्थी कि‍ दाल का पानी पने से पथरी का नाश होता है । कुल्थी में पथरी का भेदन तथा मूत्रल दोनों गुण होने से यह पथरी बनने की प्रवृत्ति आैर पुनरावृति को रोकती है । यह निरन्तर प्रयोग करने से मोटापा भी दूर होता है ।
इसके अलावा मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्ट कं का "‪#‎स्टोनक्रैश‬ पाउडर" (पथरी दवा) भी पथरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण दवा है , इसमे मुलीक्षार, जवाखार, हरड. सोंठ आदी बहुमुल्य आैषधियों का मिश्रण है ,जो की पथरी को गला कर निकालने में सहायक है ।
नोट- यह दवा वी. पी. पी./ डाक द्वारा भी भेजी जा सकती है।आर्डर करने के लिए हमे अपना पूरा नाम, पता एवं नंबर, ईमेल या मेसेज व वोट्स एप्प भी कर सकते है। साथ में अपना आर्डर भी ल‍िखे
 प्रयोग व‍िधीः-
जो की 40 से 45 द‍िनों का दवा है, स्टोनक्रैश दवा का प्रयोग सुबह-सुबह खाली पेट एक चम्मच दवा 1 कप दही में अच्छी तरह से म‍िक्स कर के लेना होता है ।
पथरी के बारे में आैर अधिक जानकारी के लिये आप हमसे संपर्क कर सकते है ।

Thursday, 11 August 2016

पित की थेली में पथरी के लिए . gallblader stone cure| size |pain |cure

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CALL or whats app-8104252102 पथरी एक भयंकर रोग (भाग 2) यह पोस्‍ट प‍ित्‍त कि‍ पथरी (‪#‎Gallbladderstone‬) से संम्‍बध‍ित है, गुर्दे एवं मुत्र नली की पथरी से संम्‍बध‍िंत जानकारी के ल‍िए पेज पर भाग 1 का पोस्‍‍ट पढें Stone Dangerous disorder Part 2:-this post is related to Bilary Stone(Gall bladder Stone) (To Read Text in English Scroll Down) प‍ित्‍त की पथरी ः- लीवर के न‍िचले सतह से जुडी रहने वाली,नाशपाती के आकार की 10 सेमी लम्‍बी व 3 से 5 सेमी चौडी एक थैली होती है ज‍िसे प‍ित्‍ताशय व प‍ित्‍त की थैली कहते है । प‍ित्‍त की थैली में दो तरह की द‍िक्‍कतें पैदा हो सकती है एक प‍‍ित्‍ताशय का फूलना या इन्फ्लेमेशन(INFLAMATION),‍ज‍िसे कोलीस्‍टास‍िस (CHOLESTASIS) कहते है और दूसरी प‍ित्‍त पथरी (GALLBLADDER STONE) के नाम से जाना जाता है । जब कोलेस्‍ट्राल और बाइल साल्‍ट्स के औसत में बदलाव आ जाता है तब यह स्‍थ‍ित‍ि पथरी पैदा कर देती है । प‍ित्‍त पथरी के लक्षणः- जब तक पथरी प‍ित्‍ताशय में पड़ी रहती है, तब तक व‍िशेष लक्षण प्रकट नहीं होते, परन्‍तु जब अश्‍मरी अपने स्‍थान से सरक कर प‍ित्‍त स्‍त्रोत में आकर अटक जाती है तो असहनीय पीड़ा होती है खासकर प‍ित्‍त पथरी की पीड़ा रात्र‍ि के समय व‍िशेषतः होती है, यह दर्द रूक रूककर होता है ज‍िसमें रोगी छटपटा जाता है । यह शुरूआत में बारीक कंकड़ की तरह होती है लेक‍िन बाद में इसपर परत दर परत चढ़ती जाती है और यह बड़ा रूप ले लेती है । इन्फ्लेमेशन के कारण भी पथरी की शिकायत हो सकती है, पुरूषो के मुकाबले मह‍िलाओं को प‍ित्‍त पथरी की श‍िकायत ज्‍यादा रहती है खासकर मोटे लोगो में । इसके अत‍िर‍िक्‍त अपचन, गैस,कब्‍‍िजयत,म‍िचली,वमन प्रतीत होना, च‍िकानाई युक्‍त चीजों का न पचना, चक्‍कर आना, कमर व पेट में दर्द व ऐंठन होना, खून की कमी, पील‍िया , बवासीर, वेर‍िकन्‍स वेन्‍स,सुक्ष्‍म रक्‍त वाह‍िन‍ियों मे टूट फूट आद‍ि लक्षण भी प‍ित्‍ताशय की गड़बड़ी के कारण हो सकते हैं । प‍ित्‍त पथरी के कारणः- प‍ित्‍ताशय की पथरी का मुख्‍य कारण है पाचन क्रिया में होनें वाली द‍िक्‍‍कते,जो खानें में कार्बोहाइड्रेट लेने से होती है, वात बढ़ाने वाला व वसा युक्‍त आहार प‍ित्‍त पथरी के दर्द व ऐंठन का कारण बन जाता है । कच्‍चे चावल,म‍िटृी,बत्‍ती चोक खानें के कारण,अत्‍यध‍िक ठोस व गर‍िष्‍ठ आहार के सेवन से यह पथरी होने की सम्‍भावना बढ़ जाती है । इसके अत‍िर‍िक्‍त स्‍वास्‍थ्‍य का ठीक न होना,गलत मुद्रा के सोना या बैठना, मॉेसपेशि‍यों में तनाव आद‍ि समस्‍याए प‍ित्‍त पथरी के ल‍िए ज‍िम्‍मेदार हो सकती है। बचाव के उपायः- प‍ित्‍ताशय की थोड़ी सी भी गड़बड़ी होने पर खानपान को सही रखना बेहद जरूरी होता है । प‍ित्‍ताशय में यद‍ि बहुत अध‍िक इन्फ्लेमेशन है तो मरीज को दो या तीन द‍िन तक उपवास करना चाह‍िए । जब तक वह समस्‍या खत्‍म न हो जाए । इस समय स‍िर्फ पानी (उबालकर ठण्‍डा क‍िया हुआ) ,चकोतरा,नींबू,सन्‍तरा,अंगूर,गाजर ,चुकन्‍दर का जूस व मूली का जूस पीना चाहीए । दही,कॅाटेज चीज़ और एक चम्‍मच अॉल‍िव आॅयल (जैतून तेल) भी द‍िन में दो बार लें , इन्‍द्रजौ म‍िठा 10 ग्राम और हरी ईलाइची 10 ग्राम एक सफेद सूती कपड़े में पोटली बनाकर पीने वाले पानी ( लगभग 4 लीटर) में डाल के रखें ,जब भी प्‍यास लगें तो उसी पानी को प‍ियें, यह रोज़ करें तथा हर 5 द‍िन बाद पोटली बदल लेवें। इसके अलावा मोहनजी पंसारी हर्बल प्रोडक्ट कं का "जी. बी. क्‍योर पाउडर" (प‍ित्‍त पथरी क‍ि दवा) भी प‍ित्‍त पथरी के लिए बहुत कारगर दवा है , यह पथरी को गला कर मल के साथ निकालने में सहायक है । यह पूर्णतः आयुर्वेद‍िक औषधी है ,इसका कोई साइड इफेक्‍ट नहीं है । परहेजः- सभी तरह के मॉंस,अंडे,प्रोस्‍टेड व डीनचर्ड फैट्स,तले भुने च‍िकानाई युक्‍त आहार ,शक्‍कर, अल्‍कोहल (शराब),केक,मैदे से बने खाद्य पदार्थ ,काॅफी इत्‍याद‍ि। सेवन विधि- दिन में 2 बार 1 चम्मच दवा खाना खाने के 1 घंटा बाद गुनगुने पानी के साथ।

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